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कानून पत्नी को पीटने का अधिकार नहीं देता कोर्ट

नई दिल्ली . दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुरुष द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर महिला को तलाक देते हुए कहा कि कोई भी कानून पति को अपनी पत्नी को पीटने और प्रताड़ित करने का अधिकार नहीं देता है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में यह साबित हो गया है कि व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ फिर से संबंध बनाने में विफल रहा और न केवल शारीरिक अलगाव हुआ, बल्कि उसे वैवाहिक घर में वापस न लाने की शत्रुता भी जुड़ी थी.
महिला के मेडिकल दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि पुरुष द्वारा किसी भी खंडन की अनुपस्थिति में यह माना जाना चाहिए कि शारीरिक उत्पीड़न के अधीन होने की महिला की गवाही चिकित्सा दस्तावेजों से पुष्ट होती है.