छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट, जानिए पांच साल में कितने घटे

केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2015-16  की तुलना में वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है। भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार प्रदेश में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की तुलना में नवजात और शिशु मृत्यु दर दोनों में 23 व 18 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं इस दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 वर्ष 2020-21 में और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 वर्ष 2015-16 में किया गया था।

केंद्र सरकार द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ो के मुताबिक प्रदेश में 2020-21 में नवजात मृत्यु दर घटकर 32.4 प्रति हज़ार पर आ गई है, जो 2015-16 में 42.1 प्रति हज़ार थी। शिशु मृत्यु दर गिरकर 2020-21 में 44.3 प्रति हज़ार हो गई है, जो कि 2015-16 में 54 प्रति हज़ार थी। राज्य में पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में भी कमी आई है। यह दर 2015-16 में जहां 64.3 प्रति हज़ार हुआ करती थी, 2020-21 में 50.4 प्रति हज़ार पर आ गई है।

प्रदेश में वर्ष 2015-16 की तुलना में 2020-21 में नवजातों, शिशुओं और पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान 23 प्रतिशत कम नवजातों, 18 प्रतिशत कम शिशुओं और 5 वर्ष तक के 22 प्रतिशत कम बच्चों की मृत्यु हुई है।

राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयास

संस्थागत प्रसव बढ़ाने की ओर किए जा रहे प्रयासों के साथ साथ -राज्य सरकार द्वारा शिशुओं की मृत्यु दर को शीघ्रातिशीघ्र न्यूनतम करने हेतु भी वृहद् प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के 5 मेडिकल कालेज,21 जिला अस्पतालों में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गई है जिनकी नियमित मॉनिटरिंग स्वयं एम्स रायपुर के विशेषज्ञों द्वारा की जाती है।

वर्तमान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च जोखिम वाली सभी गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रणनीति भी बनायी जा रही है ताकि प्रदेश की हर माता और शिशु दोनों स्वस्थ रहें।

संस्थागत प्रसव में हुई बढ़ोतरी

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में संस्थागत प्रसव में भी बढ़ोतरी हुई है।वर्ष 2015-16 में यह 70.2 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 85.7 प्रतिशत हो गई है

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