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यूसीसी विधेयक विधानसभा में पेश किया जाएगा

कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश किए जाने की तैयारी है.

इसके बाद इसे लोकसभा चुनाव से पूर्व कानून के रूप में उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है. रविवार की कैबिनेट में सिर्फ समान नागरिक संहिता का ही एजेंडा था, बैठक का आयोजन भी आनन-फानन में किया गया. इससे पहले बीते सप्ताह ही दो फरवरी को विशेषज्ञ कमेटी ने चार खंड में अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.

पूरी रिपोर्ट हूबहू मंजूर सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सम्पूर्णता के साथ स्वीकार की है. यानि समिति की सभी सिफारिशों को हूबहू बिना किसी संशोधन के स्वीकार किया गया है. कमेटी ने नगारिक कानूनों से जुड़े सभी विषयों पर सम्पूर्णता के साथ अपनी राय दी है. हालांकि अभी पूरी रिपोर्ट सामने नहीं आई है, विधानसभा में पेश होने के बाद ही सम्पूर्ण सिफारिशें सामने आ सकेंगी.

राष्ट्रपति भवन से मिलेगी अंतिम मंजूरी तय प्रक्रिया के तहत विधेयक अब विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे सदन की मंजूरी के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, चूंकि यह विषय केंद्रीय कानूनों से भी मिलता है, इसलिए इसे राजभवन अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज सकता है. जहां से मंजूरी के बाद ही उत्तराखंड में विधेयक लागू होगा.

यूसीसी में सभी संतानों को बराबर हक

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी सिफारिश में संपत्ति के अधिकार में सभी संतानों को बराबर का हक दिया है. इस मामले में धर्म, लिंग के अलावा जायज, नाजायज का भेद समाप्त करते हुए, सभी संतानों को जैविक संतान मानते हुए एक समान अधिकार दिए गए हैं.

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, कमेटी ने सभी वर्गों के लिए पुत्र और पुत्री को संपत्ति में समान अधिकार प्रदान देने की संस्तुति की है. अभी अलग-अलग धर्मों में इसके लिए अलग-अलग प्रावधान है. इसी तरह संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज संतान का भी भेद खत्म कर दिया गया है. एक अहम कदम के तहत नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान ही माना गया है. इस कारण पंजीकृत विवाह से बाहर पैदा होने वाले ऐसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा.

 

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