लखनऊ, 17 जुलाई उत्तर प्रदेश कुछ समय पहले तक, अपनी गड्ढों वाली सड़कों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब ‘एक्सप्रेसवे प्रदेश’ के नाम से जाना जा रहा है. यह प्रदेश 13 एक्सप्रेसवे के साथ देश की एक्सप्रेसवे राजधानी बनने की राह पर है. इनमें से छह एक्सप्रेसवे पूरे हो चुके हैं, जबकि सात निर्माणाधीन हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली से सीधे जुड़ने वाले छठे 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया. यह चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जैसे क्षेत्र के पिछड़े जिलों को जोड़ेगा.
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, “यह बुनियादी ढांचा अर्थव्यवस्था का विकास इंजन है और सड़कें प्रगति का दर्पण हैं. दोहरे इंजन वाली भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने सड़कों के कायाकल्प और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है.”
एक्सेस-नियंत्रित सड़क नेटवर्क उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) द्वारा विकसित किया जा रहा है. यह राज्य सरकार द्वारा अपने एक्सप्रेस-वे विस्तार कार्यक्रम को चलाने के लिए एक बड़ी एजेंसी है.
सभी चार एक्सप्रेसवे, आपस में जुड़े हुए हैं, जो न केवल राज्य की राजधानी लखनऊ, बल्कि दिल्ली और उससे आगे के क्षेत्रों को दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ेंगे. क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को एक बड़ा बढ़ावा देंगे.
यूपी के गृह सचिव और यूपीईआईडीए के मुख्य कार्यकारी अवनीश अवस्थी ने कहा, “ये कॉरिडोर तीव्र, संतुलित और समावेशी विकास के साथ-साथ अपार रोजगार क्षमता को गति देंगे. इसके लिए भूमि चिह्न्ति की गई है. आपातस्थिति में वायुसेना के विमानों की लैंडिंग और टेक-ऑफ के लिए एक्सप्रेस-वे पर हवाई पट्टियां भी बनाई जा रही हैं.”
यमुना एक्सप्रेस-वे, जिसका निर्माण 2012 में पूरा हुआ. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जो 2018 में जनता के लिए खोला गया.
राज्य में चार नए एक्सप्रेसवे, जिनमें 340 किलोमीटर पूर्वाचल, 296 किलोमीटर बुंदेलखंड, 91 किलोमीटर गोरखपुर लिंक और 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे शामिल है. सभी का निर्माण जारी है. एक बार ये पूरा हो जाने के बाद यूपी में कुल 1,788 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का नेटवर्क होगा, जो देश में सबसे ज्यादा है.
इस समय भारत में कुल एक्सप्रेसवे नेटवर्क लगभग 1,822 किलोमीटर है, जिसने यूपी को ‘एक्सप्रेसवे प्रदेश’ का नाम दिया है.
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि गांव की गलियों से लेकर प्रखंड मुख्यालय और जिला मुख्यालय तक अन्य राज्यों व अन्य देशों को जोड़ने वाली सड़कों का जाल तैयार किया गया है.
उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, एक्सप्रेसवे नेटवर्क पूर्वी यूपी में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा, निवेश और रोजगार लाएगा.
साथ ही 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी है. यह एक्सप्रेसवे न केवल पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी को कम करेगा, बल्कि लोगों को जोड़ने का भी काम करेगा.
अतिरिक्त सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने कहा, “औद्योगिक हब विकसित किए जा रहे हैं लेकिन हम पहले से ही हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे का प्रभाव देख रहे हैं.”
एक्सप्रेसवे न केवल क्षेत्र के दूरदराज के क्षेत्रों को एक्सप्रेसवे नेटवर्क पर लाएगा, यह यात्रा के समय में भारी कटौती करेगा.
उदाहरण के लिए बुंदेलखंड में दिल्ली और चित्रकूट जिले के बीच यात्रा का समय यमुना, आगरा-लखनऊ, पूर्वाचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के माध्यम से अब 12-14 घंटे से घटकर आठ घंटे हो जाएगा. इस समय दिल्ली और बुंदेलखंड क्षेत्र के बीच कोई सीधा सड़क संपर्क नहीं है.
यूपी में एक्सप्रेसवे नेटवर्क
यमुना एक्सप्रेसवे- 165 किमी
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे- 25 किमी
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे – 302 किमी
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे – 96 किमी
पूर्वाचल एक्सप्रेसवे – 341 किमी
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे – 296 किमी
निमार्णाधीन एक्सप्रेसवे :
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे- 91 किमी
गंगा एक्सप्रेसवे- 594 किमी
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे – 63 किमी
गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेसवे – 380 किमी
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे – 519 किमी
दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेस-वे – 210 किमी
गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेसवे – 117 किमी
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