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ह वक्त हम सबको सोचने पर मजबूर कर रहा है कि हमने अपने आने वाली पीढ़ी को अब तक क्या दिया है? पाश्चात्य कल्चर हम सब पर इतना हावी हो चुका है कि हम खाने से लेकर मनोरंजन तक के लिए उस पर निर्भर हो चुके हैं और यह बात साबित भी हो चुकी है कि वह सब खाद्य पदार्थ हमारे और हमारी आने वाली नस्लों के लिए ठीक नहीं है। डोमिनोस और मैकडोनेल जैसे ब्रांड्स का fast food खाना बच्चों के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर रहा है और history channel जैसे विदेशी चैनल जिनमें हजरो वर्षों के इतिहास को बताने वाले कार्यक्रम दिखाए जाते हैं और उन कार्यक्रमों में भारत का जिक्र नहीं होता है। हम सब इस बात को जानते हैं कि इस युग में और आने वाले कल में भी लिपिबद्ध चीजों की विश्वसनीयता को ही मान्य किया जाएगा और ऐसे कार्यक्रम बच्चों के मन में यह भाव उत्पन्न करते हैं कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति अन्य देशों से पिछड़ी हुई है जबकि सच्चाई हम सब जानते हैं हजारों साल के इतिहास में भारत ने विश्व को बहुत कुछ दिया है और आज हम इन्हीं मुद्दों पर बात करना पसंद नहीं कर रहे, पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने की होड़ में हम यह तक भूल गए कि हम अपने बच्चों को देखने और खाने के लिए क्या परोस रहे हैं। हम भूल जा रहे हैं कि आज देश और विदेश में जो भारतीय अपने देश का नाम रोशन कर रहे हैं वह पंचतंत्र की कहानियां पढ़कर ही आगे बढ़े हैं। क्या आपको लगता है कि आने वाली पीढ़ी डोरेमोन जैसे अर्थ रहित मनोरंजन को देख कर उतनी ही मानवीय भावनाओं को अपने अंदर जागृत कर पाएगी ? अब हमें ही आगे आकर अपने बच्चों के सही भविष्य के लिए निर्णय लेना होगा और कुछ कठोर निर्णय सरकारों को भी लेना होगा।
दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का मतलब अपनी सभ्यता से समझौता करना नहीं होता और इसका सीधा उदाहरण हमें चीन से मिलता है। चीन में गूगल, व्हाट्सएप और फेसबुक सोशल नेटवर्किंग और सामान्य ज्ञान बढ़ाने वाली वेबसाइट तक को घुसने नहीं दिया। वहां के टीवी चैनल्स पर सरकार का अच्छा खासा दखल नजर आता है। हम यह नहीं कह रहे हम भी चीन की ही तरह बन जाए, लेकिन हमें भारतीय सभ्यता को आघात पहुंचा कर बच्चों के कोमल मन में जो गलत भावनाएं डाल रहे हैं उन कार्यक्रमों को तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए, और पालको को भी ध्यान देना चाहिए कि वह इस प्रकार की चैनल ना खरीदें। यही सही वक्त है हम सबको यह विचार करना होगा कि हमारे देश का आने वाला कल कैसा होगा।