छत्तीसगढ़

मनरेगा में बढ़ रही महिला मेंटो की भागीदारी, 51 प्रतिशत महिलाएं

छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों में ‘आधी आबादी’ यानि महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मनरेगा में अकुशल श्रमिक के रूप में काम करने वालों में करीब 51 प्रतिशत महिलाएं हैं। कार्यस्थल पर काम की नाप-जोख और श्रमिकों के प्रबंधन का काम देखने वाले मेटों में महिला मेटों की भागीदारी 59 प्रतिशत है। मेट के रूप में गांव की महिलाएं कार्यस्थलों पर बदली हुई भूमिका में नजर आ रही हैं। पहले केवल मजदूरी करने तक सीमित रहने वाली महिलाएं अब मेट के तौर पर श्रमिकों के प्रबंधन के साथ ही कार्यस्थल पर गोदी खोदने के लिए चूने से मार्किंग, मजदूरों द्वारा किए गए कार्य को मापकर उसे माप-पुस्तिका में दर्ज करने और श्रमिकों के जॉब-कार्ड को अद्यतन करने जैसे महत्वपूर्ण मैदानी काम कर रही हैं। मनरेगा में वे अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में सेवाएं देती हैं और इसी के अनुरूप उन्हें भुगतान भी प्राप्त होता है।
मनरेगा में महिला मेट की नियुक्ति के बाद से कार्यस्थलों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों की सक्रिय महिलाओं को मनरेगा में मेट के रूप में नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में स्वसहायता समूहों की 9646 महिलाएँ मनरेगा मेट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। गांवों में पहले से ही स्वावलंबन की अलख जगा रही ये महिलाएं बांकी महिलाओं को भी न केवल मनरेगा में रोजगार दिला रही हैं, बल्कि स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्वरोजगार शुरू करने में भी सहायता कर रही हैं। उन्हें रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़कर आय के स्थाई साधन तैयार कर रही हैं। महिला मेट कार्यस्थलों में महिलाओं की परेशानियों के निदान का भी विशेष ध्यान रखती हैं। उनकी निगरानी में कार्य करने का मौका पाकर महिलाएं मनरेगा कार्यों से ज्यादा संख्या में जुड़ रही हैं।

aamaadmi.in अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरें

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. aamaadmi.in पर विस्तार से पढ़ें aamaadmi patrika की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

Related Articles

Back to top button