दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और 11 अन्य आरोपियों से जुड़े आईआरसीटीसी होटल घोटाले में मुकदमे पर से अपना वर्चुअल स्टे हटा लिया है. हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निचली अदालत में आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने पर बहस शुरू करने की मंजूरी दे दी है. आपको बता दें कि सीबीआई की एक विशेष अदालत ने जुलाई 2018 में लालू प्रसाद और अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था. लेकिन आरोप तय करने को लेकर बहस शुरू नहीं हुई. फरवरी 2019 में एक आरोपी ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने के विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए आरोपी विनोद कुमार अस्थाना को निचली अदालत के समक्ष पेश होने से छूट दे दी. दो अन्य आरोपियों ने भी निचली अदालत के समक्ष इसी तरह के आवेदन दायर किए थे. इन घटनाक्रमों ने मुकदमे को एक तरह से रोक दिया और आरोप तय करने पर आज तक कोई बहस नहीं हुई.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) आईआरसीटीसी होटल घाटले के मामले में तेजी लाने जा रही है. इस मामले में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ-साथ 11 अन्य लोग आरोपी हैं. इस मामले में सीबीआई की ओर से 4 साल पहले चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन अभी तक बहस शुरू नहीं हुई है.
क्यों नहीं शुरू हुई इस मामले में बहस?
इस मामले में फरवरी 2019 में एक आरोपी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सीबीआई ने उसे आरोपी बनाने से पहले सरकार की मंजूरी नहीं ली थी क्योंकि जब वह कथित अपराध किया गया था तब वह एक सरकारी कर्मचारी था. इसी आधार पर सीबीआई कोर्ट की ओर से चार्जशीट का संज्ञान लिए जाने को भी चुनौती दी गई थी. उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें पेशी से छूट दे दी थी. इसके बाद सरकारी कर्मचारी रहे दो अन्य आरोपियों ने भी ऐसी ही अर्जी दाखिल की थी. इसके चलते ट्रायल में देरी हुई थी और अब तक इस मामले में आरोपों पर बहस शुरू नहीं हुई थी.