नई दिल्ली. सावधान हो जाएं अगर ससुराल पक्ष पर झूठा आरोप लगाया, तो आपको इसका हर्जाना भरना पड़ सकता है. अदालत ने ऐसे ही एक मामले में बहू पर सास, देवर और परिवार के अन्य सदस्यों पर घरेलू हिंसा व छेड़खानी का आरोप लगाने पर दो लाख रुपये का जुर्माना किया है.
यह जुर्माना रकम ससुराल वालों को बतौर मुआवजा दी जाएगी. द्वारका स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन जैन की अदालत ने इस मामले में सास,देवर, देवरानी व उसके बेटे की याचिका को स्वीकार करते हुए माना है कि महिला द्वारा ससुराल पक्ष पर झूठे आरोपों की वजह से इस परिवार को लम्बी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. इन झूठे आरोपों की वजह से परिवार ऐसे हालातों से गुजरा जोकि वास्तविकता में पीड़ादायक थे. परिवार पर समय अंतराल पर ऐसे आरोप लगाए गए जिनकी कोई बुनियाद ही नहीं थी. लेकिन कानूनन उन्हें सुनना जरुरी था.
मामले में ससुराल पक्ष ने बताया कि उनके घर के बड़े बेटे की शादी वर्ष 1997 में हुई थी. शादी के बाद 2001 में वह अपने पति और बच्चों के साथ मायके में रहने लगी. इससे नाराज महिला की सास ने बेटे-बहू को संपति से बेदखल कर दिया. इसके बाद महिला ने सास की संपति पर हक जताते हुए मई 2009 में द्वारका अदालत में मुकदमा दायर किया. इसके अलावा जुलाई 2009 में सास, देवर, देवरानी और उनके बेटे पर घरेलू हिंसा का केस दायर किया. इन दोनों मामलों में अदालत ने आरोपों को बेबुनियाद माना.
संपति विवाद का मामला जुलाई 2010 में खारिज हो गया. जबकि 13 साल से अलग रहने के आधार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दिसंबर 2012 को खारिज कर दिया गया. 2015 में महिला के पति की मौत हो गई थी.
सास को कैंसर, देवरानी भी मानसिक बीमारी की शिकार
महिला की सास कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो गई है. जबकि देवरानी बेमतलब के मुकदमेबाजी की वजह से मानसिक रोगी हो गई है. अदालत ने माना कि बगैर कसूर रोज-रोज पुलिस-कचहरी के चक्कर किसी को भी मानसिक रोगी बना सकते हैं. अदालत ने हर्जाना रकम का बंटवारा करते हुए निर्देश दिए कि मुआवजा देने वाली महिला की सास और देवरानी को 70-70 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे. देवर और उसके बेटे को 30-30 हजार रुपये बतौरा हर्जाना मिलेंगे.
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