
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हुई एक बड़ी मुठभेड़ के दौरान उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने चार कुख्यात अपराधियों को मार गिराया। इस अभियान में एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए, और बाद में उनका निधन हो गया। यह घटना राज्य की कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
मुख्य अपराधी अरशद ढेर
मुठभेड़ के दौरान मारा गया मुख्य अपराधी अरशद था, जिसे पकड़ने पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। अरशद अपने तीन साथियों के साथ अपराधों की दुनिया में सक्रिय था। वह पहले मुस्तफा उर्फ कग्गा गिरोह का सदस्य था, और बाद में हरियाणा के मंजीत दहिया के साथ मिलकर कई जघन्य अपराधों को अंजाम दे चुका था। एसटीएफ की टीम ने अरशद और उसके साथी मंजीत, सतीश और एक अज्ञात अपराधी को मुठभेड़ में मार गिराया। इन अपराधियों के पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ है।
सुनील कुमार का योगदान और बलिदान
एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार का पुलिस सेवा में योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने 1990 में कांस्टेबल के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और 1997 में एसटीएफ में शामिल हुए। अपने 16 वर्षों के सेवा काल में उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2011 में फतेहपुर मुठभेड़ के दौरान उनकी बहादुरी के लिए उन्हें प्लाटून कमांडर के पद पर पदोन्नत किया गया था।
शामली मुठभेड़ के दौरान सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें पेट में तीन गोलियां लगीं, जिसके बाद उनका ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में पित्ताशय और बड़ी आंत का एक हिस्सा निकालना पड़ा। लेकिन गंभीर चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बाना-मसूरी भेजा गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।