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आनंद मोहन रिहा, बिहार में सियासत तेज

पटना . गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के हत्या मामले में जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई हो गई. सहरसा जेल से गुरुवार की सुबह 6.15 बजे ही उन्हें छोड़ दिया गया. इसके साथ ही बिहार में सियासत तेज हो गई है.

भाजपा नेताओं के विरोधाभासी बयान भारतीय जनता पार्टी आरंभ से ही आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सवाल उठाती रही है. उसके नेता राज्य सरकार पर अलग-अलग तरीके से हमले कर रहे हैं. हालांकि भाजपा नेताओं के विरोधाभाषी बयान भी इस मामले में आते रहे हैं.

सुशासन में आम व खास में अंतर नहीं – ललन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर रहे भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपाइयों को पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता. आनंद मोहन जी ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी सजायाफ्ता को मिलती है, वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था. नीतीश कुमार ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई, तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ.

सारी शर्तों को पूरा करने पर रिहाई बिहार सरकार की ओर से मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने गुरुवार को कहा कि आनंद मोहन सारी शर्तों को पूरा करने पर रिहा हुए हैं. वे जेल में 15 साल नौ माह 25 दिन रहे. पिछले छह सालों में 698 बंदी रिहा हुए हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि नियम में एक बदलाव यह किया गया है कि लोकसेवक और आम नागरिक की हत्या के मामले में दोषियों पर एक नियम चलेगा. सरकार ने यह महसूस किया कि यह अंतर रखना ठीक नहीं है.

कृष्णैया की पत्नी-बेटी ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई

आनंद मोहन की रिहाई के बाद जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी और उनकी बेटी ने दुख तथा अफसोस जाहिर किया है. उनके परिजनों ने राष्ट्रपति और पीएम मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. पत्नी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील कि है कि आनंद मोहन को वापस जेल भेजा जाए. दूसरी तरफ पति आनंद मोहन की रिहाई पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में पूर्व सांसद लवली आनंद ने कहा, जी कृष्णैया की हत्या का दर्द हमें भी है. अगर यह घटना आनंद मोहन के सामने होती तब वे कभी ऐसा नहीं होने देते. हम उनकी रक्षा की पूरी कोशिश करते.

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